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मैं दुखी क्यों हूँ ?

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मैं दुखी क्यों हूँ ? यह ऐसा सबाल है जो हम सभी ने सुना होता है। या तो किसी दोस्त से या फिर अपने आप से। आपका तो पता नहीं, पर मैं अपने आप से यह सबाल ना जाने कितनी ही बार पुछ लेती हूँ। मैं परेशान क्यों हूँ? मेरे ही साथ ऐसा क्यों हो रहा है? कई बार तो यह समझ ही नहीं आता की मैं दुखी क्यों हूँ। मैं उस बात को भूल क्यों नहीं पा रही हूँ? क्या मैं गलत थी या सही? बगैरा-बगैरा। सारे सबालों के जबाब तो मुझे भी अभी तक नहीं मिले पर जितना अपने आपको समझने की कोशिश की है, और लोगो से बात करके, उनका लिखा हुआ पढ़कर उन्हे समझने की कोशिश की है उससे तो यही समझ आया है की, मैं अकेली नहीं हूँ जो परेशान है और ऐसे सबालों में उलझी हुई है। यहाँ लाखों की भीड़ में हर एक इंसान अकेला है।  किसी ने क्या खूब लिखा है-  " हर लम्बे सफर में अक्सर काँच का सामान टूट ही जाता है।   हम में से हर एक के सीने में ऐसा ही कुछ काँच सा टूटा हुआ है।   शायद उसी टूटी हुई चीज़ को हम दिल कहते हैं। " हर कोई अपने दिल में एक जख्म छिपाये फिर रहा है। अपने चेहरे पर झूठी मुश्कान लिए, अपने ही सबालों में उलझा हुआ सा, वो जो जोर - जोर से ठ

जीवन में निरंतरता का महत्व 

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जीवन और मृत्यु की धाराएँ समय का निरंतर बहाव  सपनों से भरे बहते ये बादल सभी कुछ तो बह रहे हैं समानान्तर  निरंतर रुकना मानो प्रकृति के व्यवहार में नहीं फिर भला हम क्यों रुके?  फिर भला हम क्यों थमे?  चलना ही होगा हमें  हर समय  हर पल अग्रसर, तत्पर, निरंतर...  -मनीष मूंदड़ा हर व्यक्ति अपने जीवन में सफलता हासिल करना चाहता है। उस सफलता को पाने के लिए जो प्रयास करने पड़ते हैं वह भी करता है। किंतु जब हम कोई नया कार्य करना शुरु करते हैं तब हमें बहुत उत्साह महसूस होता है। मगर कुछ दिनों बाद जब हमारा सामना मुश्क़िलों से होता है, और हमें तुरंत सफलता दिखाई नहीं देती तब हमारा उत्साह कम होने लगता है, और हम कार्य बीच में ही छोड़ देते हैं। जिसके परिणामस्वरूप कार्य में निरंतरता नहीं रहती और हम हार जाते हैं। इस कायनात का सीधा सा नियम है। निरंतर चलते रहना। जैसा की मनीष मूंदड़ा जी ने अपनी कविता में लिखा है की निरंतरता के कारण ही सृष्टि चक्र चल रहा है। निरंतरता ही कुदरत का आधार है। आपके शरीर के अंदर कई कार्य निरंतरता से चल रहे हैं, इसलिए आपका शरीर ज़िंदा है। प्रकृति में हर वस्तु, हर प्राणी, हर घटना

Importance of Perspective in Life

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What does Perspective means? Your perspective is the way you see something. Perspective is walking in another’s shoes and absorbing how they feel and knowing how you feel after you go back to your own footwear.  Perspective is the tool from which we can see life, situations, problems, people, from many different views. Perspective helps create understanding which can create a union where there was none. Understanding can break an impasse in situations as large as world war, as small as I’m sorry I hurt your feelings. Type of Perspective in your life? Life can always be Looked at from Multiple Perspectives.  Perspective could be of three types, one negative Perspective, second positive Perspective and third one is practical Perspective that is balance between positive and negative Perspective. Our Life revolve around it. Looking at things with a Positive Perspective will make the world look like a Bed of Roses. A negative Perspective will show you a bunch of dead thorny Flow

judgemental mindset

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"Judgemental Mindset"  What does it means?   Judgemental is a negative word to describe someone who often rushes to judgment without any reason & forms lots of opinions usually harsh or critical ones about lots of people. These people are of judgemental mindset.  These people are those who see someone and based on their looks or actions they pass judgment on him. They don't make an effort to get to know the person or understand him or see whether their judgment was right or not. They think they are always right about everything & everyone else is wrong. No matter what you say they always find some way to derail the conversation. They  judge without understanding and that's the end of it they don't try to find out more.  Judgemental people have three common traits, they are over critical, they show no respect for the person they are critical of and they Justify what they say because they believe it is true.  J