मैं दुखी क्यों हूँ ?

मैं दुखी क्यों हूँ ? यह ऐसा सबाल है जो हम सभी ने सुना होता है। या तो किसी दोस्त से या फिर अपने आप से। आपका तो पता नहीं, पर मैं अपने आप से यह सबाल ना जाने कितनी ही बार पुछ लेती हूँ।
मैं परेशान क्यों हूँ? मेरे ही साथ ऐसा क्यों हो रहा है? कई बार तो यह समझ ही नहीं आता की मैं दुखी क्यों हूँ। मैं उस बात को भूल क्यों नहीं पा रही हूँ? क्या मैं गलत थी या सही? बगैरा-बगैरा। सारे सबालों के जबाब तो मुझे भी अभी तक नहीं मिले पर जितना अपने आपको समझने की कोशिश की है, और लोगो से बात करके, उनका लिखा हुआ पढ़कर उन्हे समझने की कोशिश की है उससे तो यही समझ आया है की, मैं अकेली नहीं हूँ जो परेशान है और ऐसे सबालों में उलझी हुई है। यहाँ लाखों की भीड़ में हर एक इंसान अकेला है। 
किसी ने क्या खूब लिखा है- 
"हर लम्बे सफर में अक्सर काँच का सामान टूट ही जाता है।
  हम में से हर एक के सीने में ऐसा ही कुछ काँच सा टूटा हुआ है।
  शायद उसी टूटी हुई चीज़ को हम दिल कहते हैं।"
हर कोई अपने दिल में एक जख्म छिपाये फिर रहा है। अपने चेहरे पर झूठी मुश्कान लिए, अपने ही सबालों में उलझा हुआ सा, वो जो जोर - जोर से ठहाके लगाकर हँस रहा है ना वो असल में अपनी आँखों के किनारों में आँशुओ को छिपाने में लगा है। मानो किसी ने उसके आँशु देख लिए तो बबाल हो जाएगा। शायद उसे भी नहीं पता। उसका दिल चाहता है की इस भीड़ में कोई तो ऐसा हो जो उसकी आँखों की कनखियों में छिपे आँशु देख ले। और वो जो एकदम शांत खड़ा है ना। उसका दिल इन्तजार में है, की कोई तो इस खामोशी के पीछे छिपी हुई उसकी चीख को सुन ले। कोई तो उसका मन पढ़ ले। कोई तो उसे समझ ले। कोई सुन पाता है क्या वोह चीखें? कोई देख पाता है क्या उन आँखो की कनखियों में छिपे आंसुओं को?
यहाँ हर किसी ने अपने इर्द-गिर्द एक दुनिया बना रखी है जहाँ उनके सिवाए कोई नहीं आता-जाता। सिर्फ हम हैं और हमारी तन्हाई। ना जाने कितने ही लोग हैं या जिनसे हम मिलते हैं, उनके साथ समय बिताते हैं, उनसे बातें करते है। पर क्या वो हमे समझ पाते है? नहीं, अगर समझ पाते तो हम इस तरह अपने आप से भाग नहीं रहे होते। आपको पता है कई बार हमे खुद पता नहीं होता है की हम चाहते क्या हैं। इस सबाल का जबाब हर एक का अलग हो सकता है। क्योंकि हम सब का सोचने और समझने का तरीका अलग अलग है। इसलिए हम सभी की परेशानियाँ और उनके हल भी अलग-अलग है। अगर हमे इन परेशानियों को खत्म करना है तो हमे इन सबालों के जबाब पता करने होंगे। सबसे अच्छी बात पता है आपको? इन सबालों के जबाब सिर्फ आपके पास है और किसी के पास नहीं।
हम में से कितने ही लोग अतीत के साये में जी रहे हैं या कहूँ जिंदा लाश है। उनका अतीत उनपर इतना भारी है की उसकी गिरफ्त से निकल पाना उनके लिए ना मुमकिन सा हो रहा है। वो आज भी उसी पल में जी रहे हैं। मानो वो घटना हर रोज़ उनकी आंखों के सामने घटती है। हर किसी की उस दिन की कहानी अलग है। किसी के साथ उस दिन बहुत भयानक हुआ था जिसने उसकी जिंदगी बदल दी। 
किसी ने उस दिन अपना सालों पुराना रिश्ता खो दिया। किसी ने अपने बेहद करीबी को खो दिया और आज भी उसको खोने का जिम्मा अपने सर उठाए बैठा है।
किसी के एक गलत फैसले ने उसकी और उससे जुड़े लोगों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी। और भी बहुत सी डरावनी कहानियाँ हैं जो लोग अपने दिल में छिपाये घूम रहे हैं। 
मैं अच्छी तरह जानती और समझती हुँ, बातें करना जितना आसान होता है असल जिंदगी में वोह सब करना उतना ही मुश्किल होता है। मैं वस इतना ही कहना चाहती हूँ। अगर उस दिन आपका रिश्ता टूटा था, और आपके दिल के इतने करीब रहने वाला आपको छोड़कर चला गया था। तो आपको यह समझना होगा की वो असल में कभी आपका था ही नहीं, अगर होता तो कभी आपको छोड़कर नही जाता। आप जाने को कहते फिर भी नही जाता। जो आपका कभी था ही नही फिर उसके लौटने का इंतज़ार क्यों? मैं नहीं जानती आपके साथ उस पल में क्या हुआ पर में इतना जानती हूँ। आपकी कोई गल्ती नही थी। आप जितना कर सकते थे आपने किया। कुछ चीज़े हमारे हाँथ में नही होती हैं। क्योंकि उनका होना पहले ही लिखा जा चुका होता है। जो हुआ वोह होना लिखा था। आप चाहकर भी उसे बदल नही सकते थे, और ना ही अब बदल सकते हो। अगर उसे बदल नहीं सकते तो फिर उस बात को लेकर क्यों बैठे हो? 
समय किसी के लिए नहीं रुकता, आपके लिए कैसे रुकेगा। समय के साथ चलना सीखो। अतीत कभी लौटकर नहीं आता। ( फिल्मों और टी.वी. सिरियल में अतीत लौटकर आता है। वोह जो बड़ी भयानक आवाज आती है ना- अतीत लौटकर आया है!! अतीत दोहराने वाला है!!) असल जिंदगी फिल्मों से बहुत अलग होती है। जिसे आप बदल नहीं सकते उसके बारे में सोच सोच कर अपना आज बर्बाद मत करो। यही बात में उन लोगों से भी कहना चाहती हूँ जो अतीत में लिए किसी गलत फैसले का पश्चाताप अभी तक कर रहे हैं। जो हो गया वो हो गया। अब आपकी ज़िम्मेदारी है यह सुनिश्चित करना की आगे आप जो करें वोह सोच समझ कर करें। 
अब आप में से कुछ इसे पढ़कर मुझसे बस एक ही बात कहना चाहते होंगे- इतना आसान नहीं होता सब भूलकर आगे बढ़ना। हाँ मैं जानती हूँ। बातें करने में क्या लगता है कोई भी बड़ी बड़ी बातें कर सकता है। जब असल जिन्दगीं में इन सब से बाहर निकलना होता है तो बहुत मुश्किल होता है। जिसके सीने में वो काँच सा टूटा हुआ है उससे बेहतर भला कौन समझ सकता है। कैसा लगता है किसी अपने को खो कर, कैसे हर पल बस उसी के लौट आने का इंतज़ार रहता है। कितना मुश्किल होता है अपने आपको यह यकीन दिला पाना की वो इंसान अब कभी लौट कर नहीं आएगा। कैसा महसूस होता है जब आप आसमान की ओर देखते हैं और आपको कोई जबाब नहीं मिलता। क्योंकि आप जानते हो वहां जाने वाले कभी लौटकर नहीं आया करते। 
हाँ मैं समझती हूँ, कैसा महसूस होता है। मैने भी अपने पापा को खोया है। एक साल से ज्यादा का समय हो गया है पर अब तक दिल यह मानने को राजी नहीं है की आसमान में जाने वाले कभी वापस नहीं आया करते। और पापा भी नहीं आयेंगे। 
हम सभी ने किसी ना किसी अपने को खोया होता है। जो अपना था उसे भूल पाना मुमकिन नहीं है। भूलना भी नहीं चाहिए। पर इसका मतलब यह तो नहीं की इस गम के वजह से हम अपनी जिंदगी जीना बंद करदे। जो लोग ऐसे ही किसी अपने को खोने का गम अभी तक लिए बैठे हैं और अभी तक उस पल में ही ठहरे हुए है। उन लोगों से मैं इतना सा सबाल पूछना चाहती हूँ - जो आपको छोड़कर चले गए, क्या वोह आपको ऐसे ही बेहाल देखना चाहते थे क्या? क्या वोह आपको इस हालत में देखकर खुश होंगे? नहीं ना, फिर क्यों आप उनकी आत्मा को दुखी कर रहे हो। समय के साथ हमे आगे बढ़ना होगा और वैसा बनना होगा जैसा वोह हमें देखना चाहते थे। उनकी यादों से भागना बंद करके, उन यादों को
सजोहकर रखना सीखना होगा। उनके साथ जीना सीखना होगा। उन यादों को अपनी कमजोरी मत बनने दो बल्कि अपनी ताकत बनाओ।
हम में से कई लोग ऐसे भी हैं जो अपने भविष्य को लेकर इतने परेशान हैं की उनका आज भी यही सोच-सोच कर खराब हो रहा है की आगे चलकर क्या होगा। वोह सफल हो भी पायेंगे या नहीं? मेरे सपने पुरे होंगे या नहीं? कैसे होगा ? क्या होगा ? बगैरा - बगैरा। यह सब सबाल मैने भी खुद से कई दफा किए हैं। मैं भी जिँदगी में बहुत सफलता हासिल करना चाहती हूँ । पर जब भी मैं अपने दिन भर का हिसाब करती थी, तब मुझे यही पता चलता था की मैं ऐसा कुछ नहीं कर रही हूँ, जिससे मेरे भविष्य में कुछ अच्छा होगा। इसलिये मैने अपने बारे में लिखना शुरु किया और यह समझने की कोशिश की। आखिर मैं चाहती क्या हूँ? वो कोन सा काम है, जिसे बिना थके, पुरे दिल से कर सकती हूँ। अभी में अपने आपको समझने के सफर पर हूँ। मुझे पूरी उम्मीद है, इस सफ़र में मुझे अपने बारे में बहुत कुछ जानने और समझने का मौका मिलेगा। आप शायद मेरा यकीन ना करें पर यह सच है। जबसे मैंने अपनी भावनाओं को कागज़ पर लिखना शुरु किया है तबसे में खुश रहने लगी हूँ। 
हम सभी की जिंदगी में ऐसा कुछ ना कुछ काम होता है, जिसे करने से हमें खुशी मिलती है। हमें जरुरत है तो बस अपने आपको समझने की। अपने व्यस्त दिन में से कुछ वक्त निकालकर अपने आप से मिलो। खुद से कुछ बातें करो, कुछ सबाल पुछो, कुछ के जबाब दो। मुझे पूरा यकीन है आपको अपने आप से मिलकर अच्छा लगेगा। हम वैसे ही बन जाते हैं जैसे हम हर वक्त अपने आपको सोचते हैं। इसलिये अच्छा सोचो, अच्छे बनो, और हमेशा हँसते रहो। दिखावे की हँसी नही, मैं दिल से निकलने वाली मुश्कान की बात कर रही हूँ ।
अगर आप किसी और बात से परेशान हैं, या फिर आप इस बारे में कुछ अलग सोचते हैं तो कमेंट करके जरुर बताएँ।














टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Emotions Simplified #01

Emotions Simplified #02